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ज़रूरी है

कभी पुरजोर आवाज़ में कहती थी कि ख़बरें देखने सुनने से परहेज़ है मुझे… नकारात्मकता फैलाती हैं… पर अब इस वक़्त, जब नेगेटिविटी, बीमारी और उस से कहीं ज़्यादा मनुष्य की ढकी छुपी स्वार्थी बर्बरता, मुखर हो चली है… मुझे लगता है कि ख़बरें पढ़ना और वर्तमान स्थिति का संज्ञान लेना आवश्यक है…

हां, किसी एक न्यूज़ चैनल या पेपर पर डिपेंड मत करिए… गूगल न्यूज़ पर ख़ुद से खोज कर 3 4 नेशनल इंटरनेशनल agencies/newspapers को पढ़िए… अन्यथा आप भी अनजाने ही एफबी/ट्विटर वॉट्सएप पर वायरल होती अफवाहों, propaganda को ही सच मान बैठेंगें…

सोशल मीडिया पर एक्टिव होने के अलावा हम सब पढ़े लिखे संवेदनशील लोग हैं… सच झूठ साथ साथ चलते हैं… अपनी सोच की छलनी से चीज़ों को परिष्कृत करते चलिए… यकीन मानिए analysis इस वक़्त ज़रूरी है… बस वो एनालिसिस हम अपने स्तर पर करें… वो ज़माना बीत गया, जब पत्रकारिता निष्पक्ष हुआ करती थी, अब सबके अपने पक्ष हैं…

एक पढ़े लिखे इंसान होने के नाते, खुद को सेकंड हैंड नॉलेज की बलि न चढ़वाइए… बिल्ली सामने आ ही गई है, कबूतर की तरह आंखें बन्द करने की बजाय, पंख फैलाकर, आज़ाद होकर सोचने की और निर्णय लेने की ज़रूरत है… बुरे समय में मन विचलित होना स्वाभाविक है, बस जिजीविषा बनी रहे… अनुपमा सरकार

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