You will remember – Pablo Neruda
तुम याद करोगे वो उच्छृंखल नदी
जहां मधुर सुगंध उठती और कंपित होती थी
और कभी-कभी एक पक्षी, पहने पानी की पैरहन
और सुस्त, सर्दीले उसके पंख
तुम याद करोगे धरती के वो उपहार
अमिट खुशबू, सुनहरी मिट्टी,
झाड़ियों के खर-पतवार और उन्मत्त जड़ें
तलवारों से जादुई कांटे
तुम याद करोगे वो गुलदस्ता जो तुमने चुना था
परछाईयां और शांत पानी,
एक गुलदस्ता ज्यों फेन में लिपटा पत्थर
वो समय ऐसा था जैसे कभी न था,
और जैसे हमेशा है
इसलिए हम वहां जाते हैं,
जहां कुछ भी हमारी प्रतीक्षा नहीं कर रहा
और हम पाते हैं कि सब कुछ हमारी ही प्रतीक्षा में है ।
Translation by Anupama
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