Hindi Poetry

ये मन मौसम

सर्दी में तरसे, सूरज की झलक पाने को
गर्मी में करे हाहाकार, धूप से निजात पाने को
बरसात में फूंक फूंक रखे कदम
कीचड़ से छुटकारा पाने को
तो सूखे में पथरे ये आंखें
बादल की एक झलक पाने को

हाय रे मन बावरा! मौसम सा ही है शायद
न अपने वश में आने पाए
न ही इससे मुँह मोड़ा जाए!
भगवान! अब तो तू ही बचाए!!

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