तारों का जाल
ज़मीं छूता
विद्युत प्रवाह
निसंग निर्बाध
संभल संभल
कदम कदम
फूंक कर चल
कहे ज़िन्दगी
पल पल….
Anupama
(बिजली की तारों को खंबे से नीचे सड़क पर झूलते देखा, अजब दहशत होती है ये लापरवाही देखकर)
तारों का जाल
ज़मीं छूता
विद्युत प्रवाह
निसंग निर्बाध
संभल संभल
कदम कदम
फूंक कर चल
कहे ज़िन्दगी
पल पल….
Anupama
(बिजली की तारों को खंबे से नीचे सड़क पर झूलते देखा, अजब दहशत होती है ये लापरवाही देखकर)
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