Hindi Poetry

विद्युत

तारों का जाल
ज़मीं छूता
विद्युत प्रवाह
निसंग निर्बाध

संभल संभल
कदम कदम
फूंक कर चल
कहे ज़िन्दगी
पल पल….
Anupama
(बिजली की तारों को खंबे से नीचे सड़क पर झूलते देखा, अजब दहशत होती है ये लापरवाही देखकर)

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