Fiction / Fursat ke Pal

उमंग

सुबह सुबह बारिश की बूँदें झिलमिलाती सी आँगन में उतर आएं तो माहौल में एक अलग ही ताज़गी अनुभव होती है। धुले से पत्ते और पंख समेटे शाखों पे बैठे मासूम से पंछी, नवजीवन के स्वागत पटल पर झूमती रंग बिरंगी लड़ियों से लगते हैं मुझे।

सच अजब हैं ये बादल, जाने कहाँ कहाँ की कहानियां खुद में समेटे उमड़ते घुमड़ते रहते हैं खुले आसमान में। स्क्रिप्ट और स्क्रीन प्ले भी देखते ही बनता है। घुटनों घुटनों चलते खिलखिलाते बच्चे से लेकर कुलांचे मारते खरगोश और हवा में उड़ान भरते घोड़ों तक सब दिखाई देते हैं मुझे इनमें। कभी शांत कभी उछृन्खल, कभी बहते कभी थमते ये मेघ अक्सर किरदार से निभाते नज़र आते हैं। घन्टों ताकते रहने पर भी उतना ही चमत्कृत करते और परिस्थितियों अनुसार स्वयं को ढालने का पाठ सिखाते। फिर अचानक एक पल में बरसकर अपना स्वरुप बदलकर नयी उमंग भर जाते हैं जीवन में, जैसे कहानी में ट्विस्ट आ गया हो या फिर सुखमय क्लाइमेक्स की ओर धीमे से बढ़ते कदम।

कहते हैं रात जितनी काली हो, सवेरा उतना नज़दीक होता है और घटाएं जितनी गहरी हों उतनी तेज़ बरसती हैं, पर मुझे तो उतनी ही ज़्यादा मीठी भी लगती हैं। जीवन के कटु क्षार अनुभवों से लबालब दिल के किसी कोने में जगमगाती आशा की किरण और प्रेम के निर्झर सौते सी चंचल और निर्मल।

फ़िलहाल तो मौसम ख़ुशगवार है और ईश्वर से केवल एक प्रार्थना की जीवन के तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद होंठों पे मुस्कान सजी रहे और हृदय में उमंग 🙂

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