Kuch Panne

तूफान

एक दोस्त की कविता पढ़ी और मन में कुछ दिन पहले की याद ताज़ा हो अाई..

पिछले दिनों दिल्ली में बहुत ज़ोर से आंधी तूफान आता रहा, ओलों और बहुत तेज़ हवा से घबराहट हो रही थी मुझे.. पर अचानक आंगन में गुलाब का फूल देखा, हवा के थपेड़े सहता.. लगभग ज़मीन तक छू रही थी टहनियां.. हर दिशा में लचकती पटकती उस नन्ही जान को… देर तक देखती रही..

तूफान रुकने पर आंगन में आई तो हैरान थी कि पंखुड़ियां तक नहीं गिरीं उसकी… लगा जैसे कितना मज़बूत है… फिर लगा जीवन यही तो, जब तक मृत्यु न आए, नहीं मरती कोमल देह भी…
Anupama Sarkar

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