इश्क़, प्रेम, प्यार, मुहब्बत
कभी सोचा इनमें एक अक्षर
एक आखर, एक लफ्ज़
हमेशा अधूरा क्यों ?
क्योंकि ये जज़्बात
कसक, ललक,
आस हैं रूह की,
खोज अपने संपूरक की
तलाश एक प्रतिबिम्ब,
एक अक्स की
जो इक दूजे में समा
ज़िन्दगी की तस्वीर
मुक़म्मल कर सकें 🙂
Anupama
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