कहानियां
टैगोर की कहानियां जब भी पढ़ीं, लगा वे कहानी नहीं, एक पूरी दुनिया रचते हैं.. किरदार, आसपास का वातावरण, उसके संस्कार और क्रियाकलाप, सबका एक विस्तृत फलक.. शायद इसीलिए मुझे उनकी कहानियां अक्सर छोटे छोटे नाटक लगे, जिन्हें स्क्रीनप्ले में बखूबी ढाला जा सकता है… शरतचन्द्र की कहानियां, अलग ही […]
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