Nano fiction

सूत्रमाला

  1. मरीचिका
    शायद जीवन का
    सच भी झूठ भी
    जीने की आस भी
    मरने का अहसास भी
  2. सब कह सुन लेने की बाद भी
    जो मुझमें गुनगुनाता है
    वो मधुर अहसास
    हो तुम !!
  3. ज़्यादा सोचना राई को पहाड़ बना देता है
  4. हफ्ते बाद आया इतवार.. कितनी जल्दी फिसलता है न
  5. हुए लफ्ज़ बेमानी
    ख़ामोशी बातूनी हुई..
  6. बीच भँवर में नाव फंसी, डोले रे विश्वास
    ओ रे मांझी ! थाम ले, न टूटे मेरी आस…
  7. शब्द तो केवल काया है
    भावों में अर्थ समाया है
  8. सोच की कँटीली बाड़ें उलझाती बहुत हैं
  9. पत्तियों की मुस्कान है सावन
  10. रंगों की बौछार है सावन
  11. सोच की सोच अजब गजब है
  12. दर्द आंसू
    ख़ुशी आंसू
    पर दुख दिल की फांस
    सुख जीने की आस !
  13. सावन के मेघा शरारती हैं बड़े
    न गरजे न चमके
    भिगो दिए हमको खड़े खड़े
    तुम भी यूँ ही घिर आओ न
    नेह अमृत बरसाओ न
  14. आज़ादी !
    किस से ?
    खुद से ही तो !!
  15. बेक़ाबू हो चला था अश्क़ों का सैलाब
    मैं नमक की पोटली समन्दर में फेंक आई
  16. अजब पहेली है ज़िंदगी
    दो बूंद अमृत की चाह में
    हलाहल गटके जाती है!
  17. सम्वेदना पीड़ा का उपहास नहीं बनती जा रही
  18. मन लहरों का संगीत है
  19. चुप्पी न भाये मुझे
    मधुर तान सुनाओ न
    सावन के मेघा तुम
    इक बार बरस जाओ न !!
  20. अजब तमाशा है ज़िंदगी; मदारी और बन्दर दोनों ही हम…
  21. ये शब्द गुम कहाँ जाते हैं
  22. हर बूँद की तासीर कुछ अलग होती है
  23. उम्मीद अनन्त सागर है
  24. बूँदें नम होती हैं न
  25. मौन भी बहुत बोलता है
  26. शब्द चतुर हैं.. रूप गुण बदल लेते हैं
  27. शब्द कब अपनी पहचान होते हैं… उन्हें अर्थ दिए जाते हैं
  28. समय और शब्द दोनों ही रहस्यमयी हैं
  29. ज़िंदगी है ही ऐसी.. अंत के बीज साथ लिए आरम्भ होती है
  30. सांचे हमेशा अच्छे लगते हैं….
    हैरां जो नहीं करते
  31. अचानक आई बारिशें सुकून देतीं हैं
  32. बूंदों की तासीर जुदा जुदा होती है
  33. जड़ों की किस्मत में सिर्फ घुटन है…
  34. गहराइयां हैरां करतीं हैं.. दूर सुरंग में दीप हो जैसे
  35. कुछ मूढ़ जड़ें उभर आतीं हैं ज़मीं से.. पौधे की जान ले बैठतीं हैं
  36. बातें लस्सी सी होती हैं.. जितनी चाहे बढ़ा लो
  37. है हर वो शख़्स शायद अक्स हमारा ही!
    जिसे देख मन परेशां ज़ुबां खामोश है!!
  38. जाने अनजाने हम चोट अक्सर अपनों को ही देते हैं…
  39. झूठ की आवाज़ अक्सर ऊंची होती है
    शायद सच की चुप्पी से भी डरता है
  40. उस पन्ने पर लिख देना उदासी मेरी…
  41. जीने के लिए
    कितनी जद्दोजहद
    और जाना
    बस साँस लेना
    भूल गया हो जैसे…
  42. मुझे ऐसे ही जाना है.. हंसते हुए अचानक.. सांस लेना भूल जाऊं
  43. कौन जाने . मौत कैसे आएगी और कहाँ ले जाएगी.. उस पार कुछ है भी या सिर्फ अंधेरा ही है.. कौन जाने ये आत्मा कितना तड़पी, इस तन को पाने के लिए.. और कौन जाने ये शरीर क्यों ढो रहा है जन्मों पुराने पूर्वाग्रह ओढ़े इस आत्मा को
  44. मेरी चूड़ियों में खनके मौन तुम्हारा….
  45. किनमिन सी बारिशें भाती हैं मुझे.. इक कसक छोड़ जाती हैं..भीगने की… रम जाने की…
  46. सावन गीत गाए तो मन कैसे न इठलाए
  47. सबूत ढूंढना इंसानी फितूर है
  48. सावन की बदली हूँ
    बिन गरजे बरस जाऊंगी
  49. यूँ उकसाया न करो घड़ी घड़ी
    धड़कनें गुस्ताखी कर बैठेंगीं
  50. इतनी कश्तियां होते भी डूब मरी..लहरों से प्यार जो करती थी…..

Anupama

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