ज़मीं से आस्मां तक
होकर मद में चूर
अमावस से पूनम तक
बदले कितने रूप
और एक है वो
सूफियाना चाँद मेरा
सोलह कलाएं
खुद में समेटे
चुपचाप है बैठा 🙂
Anupama
ज़मीं से आस्मां तक
होकर मद में चूर
अमावस से पूनम तक
बदले कितने रूप
और एक है वो
सूफियाना चाँद मेरा
सोलह कलाएं
खुद में समेटे
चुपचाप है बैठा 🙂
Anupama
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