सीढ़ियां उतरता सूरज फलक पर चमकते
पहले सितारे से मुस्कुरा कर मिला होगा
साँझ को घर लौटता परिंदा सख्त पेड़ के
मुलायम आगोश में बेसब्री से सिमटा होगा
आँखें मूंदती पंखुड़ियों ने तितलियों से
कल फिर मिलने का वादा लिया होगा
जानती हूँ, खारे बादलोँ में मिठास ढूंढता
वो भी मेरी तरह ही शहर में तन्हा होगा
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