Hindi Poetry

सीढ़ियां

सीढ़ियां उतरता सूरज फलक पर चमकते
पहले सितारे से मुस्कुरा कर मिला होगा

साँझ को घर लौटता परिंदा सख्त पेड़ के
मुलायम आगोश में बेसब्री से सिमटा होगा

आँखें मूंदती पंखुड़ियों ने तितलियों से
कल फिर मिलने का वादा लिया होगा

जानती हूँ, खारे बादलोँ में मिठास ढूंढता
वो भी मेरी तरह ही शहर में तन्हा होगा

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