हंसती खिलखिलाती, शरारती आंखों और टेढ़ी मेढी शक्ल बनाती श्रीदेवी किसका दिल न जीत लें भला.. मासूमियत और खूबसूरती का अनोखा मिश्रण था उनमें… और नृत्यांगना तो वे उच्च कोटि की थीं ही.. उनके थिरकते पांव और बुदबुदाते होंठ, जादू सा कर देते..
पर रूप और अदा से कहीं बढ़कर वे एक बेहतरीन अभिनेत्री थीं… हर किरदार में रमती हुई.. मुझे मिस्टर इंडिया में उनका चार्ली चैपलिन बनना, हवा हवाई से भी कहीं ज़्यादा दिनों तक याद रहा था.. सदमा की श्री का तो हाल कुछ यूं कि कभी ये फिल्म पूरी एक साथ नहीं देख पाई…
श्रीदेवी की खासियत थी कि वे स्क्रीन पर महज़ एक खूबसूरत चेहरा नहीं होती थीं, बल्कि हर किरदार को जीकर, उसे जीवंत कर देती थीं… अपने अभिनय में मिमिक्री और हास्य का पुट देते, एक्टर्स की बॉलीवुड में कमी नहीं.. पर शायद वे इकलौती अभिनेत्री थीं, जो सशक्त सहज, कामुक और कॉमिक एक साथ लग सकती थीं…
कुछ समय पहले उनकी इंग्लिश विंग्लिश देखी थी.. परिपक्व ठहरी ठहरी, पर ऊर्जावान श्रीदेवी मुझे और भी ज़्यादा इंप्रेस कर गईं थीं.. लगा कि वे इतने साल रुपहले परदे से दूर क्यों रहीं, अभी तो बहुत संभावनाएं बाकी हैं…
पर अफसोस बच्चों सी हंसी और चमकती चुलबुली आंखों वाली श्रीदेवी, कल इस दुनिया से चली गईं.. वो भी महज़ 54 की उम्र में… सुबह उठते ही ये खबर पढ़ झटका सा लगा.. और फिर दिखी ट्विटर पर घूमती ये तस्वीर… सिर्फ 16 घंटे पहले, दुबई में ओजस्वी श्रीदेवी अपने पारिवारिक कार्यक्रम में…
और फिर लगा कि “अनु” जाना हो तो ऐसा, एकदम सहज, हंसते मुस्कुराते, अपने जीवन को भरपूर जीते, बस यकदम चले जाना, मानो सांस लेना भूल गए हों… और जियो तो ऐसा कि जाने के बाद भी, बरसों तलक औरों के चेहरे पर मुस्कुराहट और आंखों में आंसू कायम रख सको…
मानती हूं कि मरने के बाद हम कहीं जाते नहीं, बस थियेटर के परदे के पीछे छुप जाते हैं.. यकीनन आप भी वहीं हैं… अपने कद्रदानों की डबडबाई आंखों को देख, स्नेह मिश्रित अश्रु बहाती.. ढेर सारा प्यार आपको 💓
Anupama Sarkar
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