Hindi Poetry

पागल चिड़िया

हल्का नीला आसमां
तेज़ी से बढ़ती सुफेद स्याह बदलियाँ
कबूतरों की उड़ती पंक्तियाँ
पतंगों की उलझती डोरियाँ
वेग से झपटती चीलें
चलीं छूने ऊंचाईयाँ।

शायद बारिश आने वाली है
खंभे पर बैठी वो पागल चिड़िया
पंख फुला चोंच कटकटा
यही चिल्ला रही है
या उसे किसी की याद सता रही है
क्या पता प्रकृति नित नए रंग दिखा रही है।

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