स्मृति चिन्ह हमेशा मीठे होते हैं
कड़वी यादों के पल भी हल्की सी
चीनी तो घोल ही जाते हैं रिश्तों में।
याद कराते हैं न कि कैसे उन पलों को जिया था
जब ज़िंदगी रूठी सी लगती थी
अंधेरा छंटने का नाम ही न लेता था
वो गुफा खाई की तरह और गहरी होती जाती थी
लगता था सब्र का बांध बस टूटने को ही है
एक पल, और सब खत्म!
पर फिर अचानक आंखें धुंधलाई
सामने अवतरित हुए सूरज की तरह तुम
अपने पूर्ण तेज पर, एक सबल संबल से।
तुम्हारी छुअन भर से बादल छंट गए
अंधकार खो गया नई ऊर्जा का हुआ प्रवाह
और एक बार फिर चहकने लगी ज़िंदगी।
अवरोध केवल याद बन गया
शुरू में कड़वा फिर कसैला और धीरे धीरे
सफल विरोध का मीठा द्योतक
सच यादें मीठी ही होती हैं
रिश्तों के कच्चे धागों को प्रेम के
रंगों में ढालतीं, पल-पल इस
जीवन-नाव की पतवार संभालतीं !!
Anupama
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