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कर्मठता

बारिश से प्रेम रहा हमेशा.. हां, कीचड़ और अस्त व्यस्त ट्रैफिक से चिढ़ उठती.. सूरज का चमकना प्यारा लगता… और उस गरम आग के गोले का शाम होते होते, लाल गेंद बन ढूलकना भी मोहता रहा..

पर अब कुछ वक़्त से प्रकृति की खूबसूरती के साथ साथ, मानव मन की जिजीविषा से भी अवाक होने लगी हूं..

आज एक खबर पढ़ी.. हिमाचल की लाहौल घाटी में शिक्षा विभाग की दो कर्मचारी, 20 किलोमीटर पैदल, बर्फ़ में चलकर… कोलांग नाम की जगह पर बोर्ड एग्जाम के क्वेश्चन पेपर, डिलीवर करने के लिए गईं..

हैरान हूं.. और गर्व भी महसूस हो रहा है.. हमारे देश में अब भी मेहनती और ईमानदार लोग मौजूद हैं.. ये चुपचाप अपनी ड्यूटी निभाते रहते हैं.. सरकारी संस्थानों को कोसना और वहां के कर्मचारियों को कामचोर और भ्रष्ट कह देना, बहुत आसान है.. पर विषम परिस्थितियों में भी अपने काम को अंजाम देना, बेहद मुश्किल…

आई एम् प्राउड ऑफ सरला एंड अंगमो.. और उन्हीं के जैसे बहुत से लोगों की आभारी हूं, जिन्हें हम न कभी जान पाते हैं और न ही कभी उनके बारे में सोचते हैं..

शिक्षा सबका अधिकार घोषित करने से लेकर असल में बच्चों तक इन शिक्षा सुविधाओं को पहुंचाने में बहुत पेंच हैं, बहुत सीढ़ियां… और थैंक गॉड, कुछ नेकदिल लोग ये काम बखूबी कर पाते हैं Anupama Sarkar

https://www.tribuneindia.com/mobi/news/himachal/two-women-walk-20-km-in-snow-to-deliver-question-papers-in-lahaul/736729.html

 

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