चांदी के फूल देखे हैं कभी
सब्ज़ शाखों पे
रोएंदार लफ्ज़ों में लिपटे
नगमा गा रहे थे
मेरी झलक पे शरमा गए
दूर जा छिपे हैं
डूबते सूरज के आगोश में
सर्दियों में शामें
कुछ शर्मीली होती हैं न !
Anupama
चांदी के फूल देखे हैं कभी
सब्ज़ शाखों पे
रोएंदार लफ्ज़ों में लिपटे
नगमा गा रहे थे
मेरी झलक पे शरमा गए
दूर जा छिपे हैं
डूबते सूरज के आगोश में
सर्दियों में शामें
कुछ शर्मीली होती हैं न !
Anupama
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