Hindi Poetry

Short Poems by Anupama Sarkar

जब दस लोग साथ बोलें, सिर्फ आवाज़ें आतीं हैं
जब दस ख़्याल साथ कोंधें, सिट्टीपिट्टी गुम जाती है !!

बहने दो अरमानों को, पहाड़ी नदी की तरह
क्या पता, उन्हें उनकी मंज़िल मिल ही जाए!!

उम्मीद.. वो तिनका.. जो न डूबने दे.. न उबरने
—————————————
ज़िन्दगी का फ़लसफा है, कोई स्टोरी नहीं

शोरोगुल के बीचोंबीच
ख़ामोशी की बदली
ओढ़े बैठी हूँ…..
———-
कभी कभी
बरसना
मुमकिन नहीं होता

बारिश के बाद निकली धूप
कितनी तीखी होती है न
मानो सदियों बाद
आज़ादी मिली हो !

textgram_1458293061
जंगल के बीचोंबीच इक छोटा सा मचान
चुप सी मैं, मूंछों पे ताव देता मेरा एकांत

सच कड़वे क्यों होते हैं… काश झूठ से मीठे होते…

उदासियां फलती नहीं
खुशियां फूल बिखेर देती हैं

याद की चवन्नी
रूपये पर भारी
FB_IMG_1465723397716
ये मन समंदर चंचल है बड़ा
चढ़े उतरे मर्ज़ी से अपनी
इल्ज़ाम यूँ ही चंदा पर आए!

खामोशी गहरा सागर
पार करना बस में कहाँ !

चुपचाप बहती रहीं आवाज़ें
खामोशी शोर करने लगी !!

textgram_1465792887pL
जाने कितनी बार पढ़ती हूँ
मुड़-मुड़ फिर से गढ़ती हूँ
शब्द जाल गहन बहुत है!!

लफ्ज़ों का क्या … स्याही हैं… मिट जायेंगें… जज़्बात उकेरिये … सीधे दिल में उतर जायेंगें

श्वेत – श्याम
जीवन के दो नाम
फिर क्यों खोजें
हम उगता सूरज
क्यों भूलें ढलती शाम !

भरा भरा सा मन मेरा
खाली खाली सा लगे

शोर से परेशां नहीं आदतन खामोश हूँ

जी भरके बरसीं अमृत की बूँदें अनमनी सी मैं सिमट चली खुद में मन की बारिशें कब मौसम की मोहताज रे !

दिन भर की धूसर थकन
शाम के धुंधलके में उड़ेल देती हूँ
गुनगुनाती हूँ भूला बिसरा गीत
यादों की सलाइयों पर तुम्हे बुन लेती हूँ
Short Poems by Anupama

Leave a Reply