Hindi Poetry

Short Poems on Picture

जितने दूर उतने पास

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परिस्थितिजन्य भ्रम है

आकृति प्रकृति व्यक्तित्व

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काल अवस्था स्थान में

न्यूनतम परिवर्तन

दृष्टिदोष भंग करने में

सर्वदा समर्थ

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आचार-विचार संस्कार-व्यवहार

पीढ़ी दर पीढ़ी शेष हुए जाते हैं

जड़ों से दूर पनपी शाखाएं

मिट्टी की घुटन समझें भी तो कैसे


Anupama

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