जितने दूर उतने पास
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परिस्थितिजन्य भ्रम है
आकृति प्रकृति व्यक्तित्व
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काल अवस्था स्थान में
न्यूनतम परिवर्तन
दृष्टिदोष भंग करने में
सर्वदा समर्थ
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आचार-विचार संस्कार-व्यवहार
पीढ़ी दर पीढ़ी शेष हुए जाते हैं
जड़ों से दूर पनपी शाखाएं
मिट्टी की घुटन समझें भी तो कैसे
Anupama
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