Hindi Poetry / My Published Work

शायर

पसीना बहा सफेद पन्नों पर
नज़्में नहीं लिखी जातीं
न किसी की खिल्ली उड़ा
गज़लों में जान आती है

जज़्ब करने पड़ते हैं आंसू
खून जलाया जाता है
नासूर से गलती हड्डियों से
टपकता मवाद
खूबसूरत परतों में सहेज
लफ्ज़ों में सजाया जाता है

तब उभरती है कागज़ की
ज़मीन पर एक फसल
जिसके कबूल होने की चाह में
शायर आज़माया जाता है
Anupama
Published on INVC

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