Section 375, कानून की वह धारा, जिसे लेकर हमारा समाज जाने कितनी बार कोर्ट रूम से लेकर मीडिया तक, खबरों में रहता है… बलात्कार, एक ऐसा कड़वा खौफ़नाक सच, जिसमें विक्टिम के साथ न्याय होने में सालों खर्च होते हैं और तब भी अक्सर जजमेंट और ट्रायल के दौरान केस या तो दम तोड़ देता है या फिर लड़की और उसका परिवार हिम्मत छोड़ देते हैं… अक्सर रेपिस्ट कानून की लंबी और मुश्किल प्रकिया का फायदा उठा कर बरी होने में या विक्टिम को धमकाने में कामयाब हो जाता है…
क्या कहेंगे इसे, कानून का कमज़ोर नाकारा होना, समाज का एकपक्षी होना, लड़की की इज़्ज़त को उसके शरीर तक सीमित कर देना या आदमी के दंभ का हर वक़्त उस पर हावी होना? नहीं जानती, पर हां, दिल अक्सर कांप उठता है… आंसू, भावनाएं सब एकतरफा हो जाती हैं… और मन वितृष्णा से भर उठता है, जब बलात्कारी को पैसे, रुतबे और हाई प्रोफाइल लॉयर्स के बलबूते कानून को तोड़ते मरोड़ते देखती हूं…
आख़िर इंसान हूं, एहसासों की महत्ता है… इसलिए लूप होल्स ढूंढते वकील, ढिलाई बरतते जज बहुत बुरे लगते हैं… मन होता है कि जल्द से जल्द कड़ी से कड़ी सज़ा मिले…
पर क्या कानून के बाशिंदे भी इसी तरह भावनाओं का हाथ थामे निर्णय लिया करते हैं या उन्हें ऐसा करना चाहिए? क्या कानून की धाराओं का अक्षरशः अनुकरण आवश्यक है? क्या सुबूत की कमी किसी केस के हारने या जीतने का आधार बननी चाहिए? क्या पहली नज़र में जो दिखे, समझ आए, वही पूरा सच हुआ करता है? या फिर परतों में दबे कुचले सच को ढूंढना असम्भव हुआ करता है?
सवाल बहुत हैं, जवाब नहीं… अभी मूवी देखी Section 375… अंत तक आते आते कहानी पलट गई, बावजूद इसके कि बुरा इंसान बुरा ही रहा, पर फिर भी कहीं एक छोटा सा झटका लगा…
कानूनी दांव पेंच देखने सुनने के शौकीन हों तो अक्षय खन्ना, ऋचा चड्डा की ये कोर्ट रूम ड्रामा, आपको भी बांधे रखेगी… और कहीं न कहीं, एक बार हिला देगी कि क्या वाकई हम किसी एक पक्ष पर पूरी तरह से सहमत हो सकते हैं? अभिनय और डायलॉग डिलीवरी औसत है, स्टार कास्ट न के बराबर, पर मूवी इंटरस्टिंग है… एक अलग ही पर्सपेक्टिव को सामने लाती हुई… आज के मीडिया ट्रायल का जुडिशरी पर ही नहीं, हम सब के रिएक्शंस पर भी प्रभाव तो है, ये बात इस मूवी में सशक्त तरीके से उभरती है…
कानून अंधा होता है, अक्सर सुना… पर उसकी लाठी पकड़े वकील, अपनी अपनी काबिलियत और सोच के बल पर ही दूर तक चलते हैं, ये आज महसूस हुआ… अनुपमा सरकार
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