“तुम स्कूल नहीं जाती” सवाल सुनकर, दो पल पहले खिलखिलाती लड़की सिर झुका कर कहती है “न दादी कहती है, पढ़ने वाली लड़कियों की आंखें फूट जाती हैं”
न जाने किस मूवी या सीरियल में देखा था ये सीन कभी, पर आज सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर, ये बात दिमाग में धमक अाई.. शायद कहीं गहरे फंसी थी… सोचकर हैरानी होती है कि इस तरह के मिथक क्यूं गढ़े गए होंगें भला कि आधी आबादी ही निरक्षर रह जाए.. और कितना ही प्रयास किया गया होगा, कि आज हम मन की कह सुन पाएं…
ज़िन्दगी में बहुत कुछ फॉर ग्रांटेड लेते हैं हम.. पर कभी दो पल ठहरें, तो कठिन सफर की यादें, संबल दे जाती हैं…
भारत की प्रथम महिला शिक्षक सावित्री बाई फुले और उन तमाम समाजसेवियों को नमन.. जिन्होंने शिक्षा का महत्व समाज के विरोध के बावजूद समझा और समझाया.. ये अधिकार जीवन बदलने की ताकत रखता है
Anupama
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