Noticed the planet Saturn in sky tonight and couldn’t stop myself from writing this poem
“आज पहली बार हुआ कि चांद देखा
पर नज़र इक तारे पे अटक गई
चांद में कमी न थी वो तो है ही हसीन
पर उस तारे में कुछ बात थी
न अपनी चमक को टिमटिमाता
न ही रंगहीन हो आसमां में खो जाता
लगातार जल रहा था बिन बुझे
रंग सुनहरा था आकार विशाल
ठीक पूरब के साथ साथ
दक्खिन को छूता चांद के पार
कुछ खास था उसमें कुछ अलग कशिश
ऐसी कि मजबूर हुआ ये दिल
उसके बारे में जानने को हर बात
और देखो क्या चमत्कार हुआ
वो कोई मामूली तारा नहीं
है स्वयं शनिदेव का अवतार
जो दृश्य है आज की रात बादलों के पार।”
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