Hindi Poetry

संभावना

समंदर किनारे बैठ
लहरें गिनते रहना
हाड़-मांस का बालू हो जाना है
तूफान के डर से
बादलों से अचकचाना
पृथ्वी का सृजन से दूर चले जाना है
शब्दों की भीड़ में
संवेदनाएं ढूंढना
मेरा मुझको खुद से ही छले जाना है
बहाव, खिलाव, भाव का
प्रतीक्षारत रह जाना
उनके होने की संभावना को समाप्त करते जाना है…..
Anupama

Leave a Reply