Articles / Fiction

समाजवाद, ज़रा हटके

जाते हुए बैट्री रिक्शा गलत लेन में था, कार वाले ने डांट पिलाई, गाड़ी क्यों बीच में अटका रखी है… रिक्शे वाला खुद में सिमट गया…

आते हुए एक कार वाले ने फोन पर बात करने के चक्कर में गाड़ी गलत जगह खड़ी करके रास्ता रोक रखा था, अबकि बैटरी वाले ने कहा, “अरे अंकल, गाड़ी बढ़ाए लयो, फोन काट ल्यो”… और कार वाला चुपचाप शर्मिंदा हो आगे बढ़ चला…

हमारे देश में समाजवाद का एक ज़ायका ये भी है… गलती सब करते हैं, पर दूसरे की गलती जतलाना और मनवाना भी बखूबी जानते हैं… अनुपमा सरकार

मेरी दिल्ली

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