Fursat ke Pal

समझ

इस वीकेंड में दो डाक्यूमेंट्रीस देखीं.. She Wolves और King Henry VIII पर…मन खिन्न था कि राजा रानी के मायावी संसार किस कदर खोखले होते हैं, और मानव कितने क्रूर और नृशंस.. Matilda का क्वीन बनते बनते रह जाना, Eleanor का अपने ही पति के खिलाफ बगावत कर जाना, Henry का एक के बाद एक अपनी रानियों को मौत के घाट उतारना और क्वीन Mary का सारी हदें पार करते हुए ४ साल में सैंकड़ों लोगों को heretic कह जला देना..

अपने अहं की तुष्टि के लिए न जाने कितने दांव पेंच और खेल रचना, किसी भी तरह अपनी साख व सत्ता बचा लेना, बेहद अमानवीय लगा.. सोचती रही power does corrupt..

पर ज्यों ज्यों परतें खुलती गयीं, मैं हैरान होती रही… Matida का जर्मन विधवा होने की वजह से अपने ही देश में अविश्वास से देखा जाना.. Henry का male heir न दे पाने का डर, उसके टांगों के घाव का पक जाना, अवसादग्रस्त हो बेहद मोटा और बीमार हो जाना.. और Queen Mary की fake pregnancies से उसका अपने ही कोर्ट में मज़ाक बनकर रह जाना… मुझे एक दूसरे पक्ष की तरफ सचेत करता चला गया.. डर, भय, असुरक्षा की भावना, इंसान से जो चाहे करवा लें..

शायद मानवीय संवेदनाएं बेहद लचीली हैं.. और तस्वीर के इतने रुख कि सही गलत का निर्णय कर पाना असंभव.. मैं हैरान थी कि एक पूरे जीवन को आंखों के सामने से गुज़रते देखने पर, इतिहास भी कैसे चेहरा बदलने लगता है.. फिर पल प्रति पल जिए जा रहे जीवन के बारे में कुछ भी कह पाना तो बिल्कुल ही संभव नहीं.. परतों के नीचे और परतें हैं और हर परत बहुआयामी.. और समझ पल प्रति पल पाला बदलती नटखट खिलाड़ी..
Anupama

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