Hindi Poetry

सागर सा लगा आज आसमां

सागर सा लगा आज आसमां
बादलों की लहरों से छितरा।

कभी अपने पास बुलाता
कभी भोले मन को डराता।

अजब उफान था
रूई के उन फाहों में
सिमट रहा हो दिनकर
ज्यों कोहरे की बांहों में।

धुंआ सा फैला चहुँ ओर
उम्मीदों का अरमानों का और..

और
शायद आने वाले तूफानों का
आखिर, आसमां में कश्ती चलाना
कोई आसां तो नहीं!
Anupama

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