राजा रानी, बचपन से ही अजब लगता था, इनकी कहानियां सुनना, एक ऐसे संसार की कल्पना करना, जहां सब कुछ आपकी मर्जी से हो, आप न कहें तो पत्ता तक न हिले.. नौकर चाकर चौबीसों घण्टे हुक्म बजाने को हाज़िर हों.. आपके खाने,पहननेे, मन बहलाने को सारी दुनिया कदमों तले.. सिर्फ आपकी मर्ज़ी, सिर्फ आपका राज… कुछ ऐसा ही तो होता होगा न वो संसार, राजा रानी, राजपाट, वैभव ऐश्वर्य से चमकता दमकता.. सच कहूँ, तो अब भी कई बार ऐसा ही महसूस होता है…
पर आजकल कुछ दिनों से यूरोपियन राजपाट पर बनी सीरीज़ देख रही हूँ… आज की क्वीन एलिज़ाबेथ, प्राचीन रोमन एम्पायर, और स्कॉटलैंड और फ्रांस के किंग्स एंड queens की कहानियां… हतप्रभ हूँ… सांस लेना तक दूभर था इन लोगों के लिए… हर फैसले के लिए नोबल्स और coutiers पर डिपेंडेंट.. कोई आज़ादी नहीं… प्यार नहीं, शादी नहीं, मन की बात कहने तक कि नहीं… सिर्फ और सिर्फ पोलिटिकल अलायन्स, राजनीति, कूटनीति और अजब से डर..
इनकी दुनिया जितनी अलग लगती थी, उतनी अब नहीं लग रही… परिस्थितियां और कशमकश यहां भी कुछ कम नहीं.. फिर नोटिस करती हूँ कि जिसने प्रेशर झेल लिया, खुद को टूटने से बचा लिया, संसार उसका हो गया… इच्छशक्ति और समझ बूझ ही बस साथ दे सकती है, कोई राजपाट, कोई चमत्कार नहीं…देखती जाती हूँ और गुनती जाती हूँ… और फिर अपनी दुखों की पोटली और उनके दुखों की पोटली को मापती हूँ… उन्नीस बीस ही हैं.. कुछ कम ज़्यादा नहीं… ज़िंदगी वही, वैसी ही, जैसी आप जीने की ठान ले…
Anupama
#fursatkepal
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