बादल छाए हैं
धुएं का आवरण आसमां को पहनाए
हल्की हल्की बारिश की बूंदों से
लहकती धरती
अपनी बरसों की तृष्णा को
तृप्त करने की पुरजोर कोशिश करती।
एक तरफ असीम आकाश
दूसरी तरफ अथाह पृथ्वी।
और इन दो दिग्गजों के बीच
विस्मित सी खड़ी मैं
निरीह बालक सी परिस्थितियों को
बदलते समीकरणों को
समझने का छोटा सा
प्रयास करती।
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