Hindi Poetry

रातरानी

अलसाया सा चाँद
पिघली सी चांदनी
रुकी सी हवाएं
ठहरी सी सदाएं
आज माहौल कुछ और है
जाने क्यों कुदरत यूँ खामोश है
अनमनी सी मैं आँगन में चक्कर लगाती
रह रह कर रातरानी की पत्तियां बुहारती
Anupama

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