Hindi Poetry

प्रयास

उदासी का मुखोटा ओढ़े

फिर आई है ये सुबह

नाखून गढ़ा देती हूँ ज़मीं में

खींचती हूँ आढ़ी टेढ़ी लकीरें

परिधियों में कैद हो जाती हूँ

फिर छलकता है एक आंसू

मिटता है ज़रा सा निशान

मन भागते हुए सीमा पार कर जाता है

मैं अन्मयस्क सी खोजती हूँ

एक और मुखोटा

जीने के लिए प्रयास ज़रूरी है

Anupama

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