पुरुष का दंभ उसके प्रेम पर हावी रहता है
आकर्षण, निवेदन, स्वीकृति, मिलन
सहज सोपान से दिखते हैं
एक के बाद दूसरा अवश्यंभावी
और पूर्ण होते ही विचलन..
स्त्री की कोमलता उसके प्रेम पर हावी रहती है
लज्जा, संकुचन, स्वीकृति, मिलन
पर्वतारोहण से दिखते हैं
एक के बाद दूसरा कठिन
और पूर्ण होते होते समर्पण…
प्रेम में होना, भाव है
परंतु प्रेम का होना और बचे रहना
स्त्री पुरुष के सांचों में जकड़ी वास्तविकता
कल्पना संसार से पूर्णतः विमुख…
Anupama
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