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पुल

अजब है ज़िन्दगी किसी के लिए हम पुल तो कोई हमारे लिए पुल कितने पुल पार हुए कितनी बार पुल बनकर बदहाल हुए किसी को याद भी नहीं वैसे भी याद रह जाए तो चुभन होती है ख़ुद पर से गुज़रते बूटों की ठक ठक कहीं अंदर तक भेद जाती […]

by July 18, 2020 Hindi Poetry
मेरी दिल्ली

परिंदे, निर्मल वर्मा

कहानियों का जादू सर चढ़कर कैसे बोलता है, जानना हो तो निर्मल वर्मा की “परिंदे” से बेहतर कुछ नहीं… मैं तो चीड़ के पत्तों की चरमराहट और बिंदी से जलते सिगार की आँच में बर्फीली हवाओं सी मिस लतिका और बेफिक्र डॉक्टर मुकर्जी के सूखे ठहाकों में ऐसी खोयी कि […]

by July 16, 2020 Review
आश्रम, धर्मवीर भारती

आश्रम, धर्मवीर भारती

सुख दुख, पूर्ण अपूर्ण, खाली भरा… क्या हैं ये शब्द, विलोम? न, शायद तस्वीर का दूसरा रुख, जो उतना ही अलग जितना एक सा… कभी कभी किसी कहानी में यूं ही डूब जाती हूं, मानो बस मेरे ही लिए लिखी थी लेखक ने… और शायद इसका ठीक उल्टा भी एकदम […]

by June 23, 2020 Review
3550 Subscribers on Mere Shabd Mere Saath

3550 Subscribers on Mere Shabd Mere Saath

कहते हैं, नियति से भागा नहीं जा सकता… 17 साल पहले बी एड बीच में छोड़कर भाग अाई थी… Lesson Plan बनाना और फिर उन्हें बच्चों पर थोपने की कोशिश करना ताकि यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर को इंप्रेस कर पाऊं, बहुत बोरिंग और गैर ज़रूरी लगा था… मेरा बस चलता तो […]

by May 31, 2020 Articles
निर्मल वर्मा, धूप का एक टुकड़ा

निर्मल वर्मा, धूप का एक टुकड़ा

केवल एक पात्र को लेकर कहानी कैसे लिखें, जानिए अनुपमा सरकार के साथ… आज की कहानी है, निर्मल वर्मा की धूप का एक टुकड़ा… इसमें सिर्फ एक ही कैरेक्टर है, कम से कम दिखती बोलती एक ही औरत है… मोनोलोग, एकालाप को अक्सर थियेटर में, नाटकों में प्रयोग किया जाता […]

by May 23, 2020 Fiction, Recital
भीष्म साहनी, अमृतसर आ गया है

भीष्म साहनी, अमृतसर आ गया है

कहानी कैसे लिखें, जानिए अनुपमा सरकार के साथ किसी भी कहानी में किरदार बहुत अहम होते हैं। वही जान डालते हैं कथानक में। उनके हाव भाव, वेश भूषा, संवाद व भाषा ही माध्यम बनती है, पाठक और लेखक के बीच। एक चतुर लेखक वही जो चरित्र यूं गढ़ दे कि […]

by May 21, 2020 Fiction, Recital
नीरवता

नीरवता

गहराने लगी है नीरवता उदासी भी जमने लगी है मौन, एकांत, अकेलापन ये शब्द पर्यायवाची हैं या भिन्न मन को अंतर स्पष्ट करने की न व्यग्रता शेष न जिज्ञासा अर्थ का अनर्थ, अंत का होना अनन्त अब उद्वेलित नहीं करता प्रकृति के प्रहरी आंदोलित करने में असक्षम हो चले हैं […]

by May 9, 2020 Hindi Poetry
फिल्में और लेखन

फिल्में और लेखन

जानते हैं दोस्तों! मूवीज़ और लेखन का बहुत बहुत गहरा रिश्ता है। दिखने में ज़रूर लगता है कि फिल्में, हीरो हीरोइन के बलबूते चल जाती होंगी। पर दरअसल कसी हुई कहानी, सशक्त स्क्रिप्ट, और मंजे हुए डायरेक्शन के बिना, अच्छी फिल्म बनाना ही असम्भव है। उपन्यास, कहानी में कुछ पन्ने […]

by May 3, 2020 Articles