पुल
अजब है ज़िन्दगी किसी के लिए हम पुल तो कोई हमारे लिए पुल कितने पुल पार हुए कितनी बार पुल बनकर बदहाल हुए किसी को याद भी नहीं वैसे भी याद रह जाए तो चुभन होती है ख़ुद पर से गुज़रते बूटों की ठक ठक कहीं अंदर तक भेद जाती […]
अजब है ज़िन्दगी किसी के लिए हम पुल तो कोई हमारे लिए पुल कितने पुल पार हुए कितनी बार पुल बनकर बदहाल हुए किसी को याद भी नहीं वैसे भी याद रह जाए तो चुभन होती है ख़ुद पर से गुज़रते बूटों की ठक ठक कहीं अंदर तक भेद जाती […]
गहराने लगी है नीरवता उदासी भी जमने लगी है मौन, एकांत, अकेलापन ये शब्द पर्यायवाची हैं या भिन्न मन को अंतर स्पष्ट करने की न व्यग्रता शेष न जिज्ञासा अर्थ का अनर्थ, अंत का होना अनन्त अब उद्वेलित नहीं करता प्रकृति के प्रहरी आंदोलित करने में असक्षम हो चले हैं […]
जानते हैं दोस्तों! मूवीज़ और लेखन का बहुत बहुत गहरा रिश्ता है। दिखने में ज़रूर लगता है कि फिल्में, हीरो हीरोइन के बलबूते चल जाती होंगी। पर दरअसल कसी हुई कहानी, सशक्त स्क्रिप्ट, और मंजे हुए डायरेक्शन के बिना, अच्छी फिल्म बनाना ही असम्भव है। उपन्यास, कहानी में कुछ पन्ने […]
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