बिराज बहू, शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय
स्त्री और पुरुष के पति पत्नी होने पर भी जिस आपसी सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए, आज तक समाज तैयार नहीं, उसे आज से 150 वर्ष पूर्व शरत चन्द्र ने अपने उपन्यास में कितनी सहजता से उकेर दिया, पढ़कर विस्मित हूं। बिराज बहू, एक ऐसा उपन्यास जिसकी नायिका जितनी स्वाभिमानी […]
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