कुम्हार के चाक पर
तेज़ी सी घूमती ज़िंदगी
सूखी मिट्टी के ज़िद्दी कण
पानी की नरमी में
सहज अपना अस्तित्व खोते
नव निर्माण की श्रृंखला में प्रथम पग
स्वयं की छवि से मुक्ति
परिधियों का बन्धन
आकार व्यवहार का संतुलन
अग्निवेदी में होम होतीं
संचित अभिलाषाएं
सुघड़ हाथों से जन्म लेतीं
नव आकांक्षाएं
पूजा के कलश में
स्निग्ध मृदा
केवल एक अवशेष !!
Anupama
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