Hindi Poetry

सुबह की खुशबू

सुबह की खुशबू बालों में गूंथे
बदलियों की टोली आई
रात भर जो तड़पी चांदनी
सूरज को देख शर्माई
पत्तियों के झुरमुट से
कोयल ने कूक लगाई
बुहार ले घर का आंगन
झड़े फूलों ने गुहार लगाई
और मैं
इक हल्की सी मुस्कान
होंठों पर सजाए
आंगन में चली आई
प्रकृति की गुदगुदी से
बचूं भी तो कैसे!!

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