Hindi Poetry

मेरा नाम

उस रोज़ तुमने हौले से मेरा नाम बुदबुदाया था
बिजली सी कौंधी थी दिल में तूफ़ान आया था
सूखे पत्ते सी काँपी मैं शाख झूल सी गयी

बादलोँ के घोड़े पे हो सवार बांका चाँद चला
और मैं कमली सी उसके साथ हो ली
संग नापे धरती आकाश स्वप्न लोक की नींद टटोली

और धीरे से समझ में आया तुम बदरा नहीं आवारा
पंछियों से उन्मुक्त हो असीमित उड़ान तुम्हारी
पर हमारे नीड़ की निश्चितता सर्वोपरि तुम्हारी

आज फिर हौले से वो नाम तुम्हारे होंठों पे आया है
पर अबके न कुछ गरजा न कोई तूफ़ान लाया है
बस इक मीठा सा सौता हमारे बीच बह चला
प्रेम विध्वंस कहाँ, जाने बस सृजन की कला !
Anupama

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