“आज तारे नहीं आसमां में!”
“हैं तो”
“कहां, मुझे तो नहीं दिख रहे”
“बादलों के आगोश में छिपे हैं”
वो पलटकर देखती तो उसकी आंखों की चमक के सामने सितारों का जहां फीका नज़र आता.. पर लड़की की नज़र तो स्याह आसमां में उलझी थी..
कुछ पल ठहर बोली “चांद भी नहीं दिख रहा!”
लड़का ज़रा करीब आया, हौले से बुदबुदाया “मुझे तो अपना चांद दिख रहा है, तुम्हारी तुम जानो!”
उमस भरे मौसम में अब हवा खिलखिला रही थी.. अनुपमा सरकार
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