अजब फितरत है मानव मन की, दूसरे के मुंह से मौत का नाम सुनकर भी डर लगता है… जबकि इस से बड़ा सच शायद कोई है ही नहीं… आज कोई बेहद परेशान था.. बिमारी ने तोड़ दिया है उसे, तन से कहीं ज़्यादा मन को… दिन भर मरने की बातें करता रहा… सब उसे ढांढस बंधाते… कभी बहला-फुसलाकर, कभी हक़ जता कर…. आखिर मर जाना कोई उपाय तो नहीं… जब तक सांसें हैं, जीना तो है ही.. भगवान का नाम लो, अच्छी खासी नौकरी दी है उसने, बीवी-बच्चे भी… कोई कमी तो नहीं… बीमारी का इलाज करा लो, दवा लो, परहेज़ करो.. अच्छे तो आप हो ही, वो सुनेगा आपकी… मैं भी सुनती रही, बीच बीच में उनकी बातें दोहरा भी देती… पर कहीं इक खलबली सी थी… कोरी बातें हैं सब… ज़रा सी मुश्किल में घिरते ही पहला ख़्याल तो मन में यही आता है न कि बस अब उठा ले… वो तो भला हो भगवान का, कि वो जल्दी सुनता नहीं….
Anupama
#dinbhar
Recent Comments