Hindi Poetry

मासूम खुशियां

चाँद की नाव नदिया में खेने
सितारे ज़मीं पे चले आये
इक तितली ने पंख फैलाये
असंख्य फूल खिल आये
इक बदरा ने आवाज़ लगाई
मस्त हवा पहाड़ों से दौड़ी आई
झरना खिलखिलाया
पगडण्डी लहराई
रेतीले टीलों ने भी हामी मिलाई
इक भोली सी मुस्कान खिली
लाखों अँखियाँ टिमटिमाईं
खुशियां कितनी मासूम होती हैं न !
Anupama

Leave a Reply