चाँद की नाव नदिया में खेने
सितारे ज़मीं पे चले आये
इक तितली ने पंख फैलाये
असंख्य फूल खिल आये
इक बदरा ने आवाज़ लगाई
मस्त हवा पहाड़ों से दौड़ी आई
झरना खिलखिलाया
पगडण्डी लहराई
रेतीले टीलों ने भी हामी मिलाई
इक भोली सी मुस्कान खिली
लाखों अँखियाँ टिमटिमाईं
खुशियां कितनी मासूम होती हैं न !
Anupama
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