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Love is Hell

हमारी कंट्री में दो लोगों के साथ होने के फैसले से इतने लोग व्यथित, पतित, ग्रसित हो जाते हैं, कि नो वंडर, तीन चौथाई आबादी, चुपचाप परिवार की मर्ज़ी से शादी करके, ताउम्र, दूसरों की ज़िंदगी में एक्साइटमेंट तलाशती फिरती है..

किसका किस से चक्कर, किसका किस से झगड़ा, किसने किसको कैसे उल्लू बनाया, इत्यादि इत्यादि इत्यादि.. फिल्म और सीरियल ही नहीं, रियल लाइफ में भी तो गॉसिप चाहिए न.. अब हम न्यूज़ के नाम पर देश दुनिया की खबर कब तक सुनें!

वैसे भी जिस देश में विलेन का नाम “प्रेम” हो और एक पूरी जनरेशन तक बॉलीवुड मूवीज़, बिना रेप/मोलेस्टेशन के पूरी न हुई हों.. जहां फिल्मी पर्दे पर “प्रेम” नाम का हीरो, रियल लाइफ में हर गर्लफ्रेंड के साथ abusive रहा हो.. जहां दूसरे घर की लड़की “हंसी तो फंसी” और अपने घर की लड़की के “चक्कर” में “नाक कटने” का अंदेशा रहा हो, वहां भाई, कहां का प्रेम, कहां की भावनाएं और कहां की ख़ुशी..

दो लोग शादी कीजिए, घर वालों को पोता पोती, नाते नाती का सुख दीजिए.. इतना भर काफ़ी है.. हां, “नैन मटक्का” वगैरह करना ही हो तो, ज़रा घर से दूर जाकर करिए.. पहचान वालों के सामने तो शराब सिगरेट ही तौबा तौबा!

मन में कितना ही मैल हो भाई, कमीज़ साफ़ दिखनी चाहिए बस! हम इंडियंस इत्ते में ही खुश हो जाते हैं.. आखिर पढ़े लिखे हैं, अनपढ़ गंवार थोड़े ही, ज़िम्मेदारी और ख़ुशी में अंतर जानते हैं!! अनुपमा सरकार

Hypocrisy wins in Indian Society. Love may go to hell or rather Love is Hell here…

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