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लेडीज़ होस्टल : गीता अय्यर

जीवन के सफर में हर मोड़ पर कुछ लोग मिलते हैं। किसी से स्नेह का रिश्ता बन जाता है, तो कहीं केवल परिचय पर ही बात खत्म। और हम आगे बढ़ जाते हैं। स्वप्न, लक्ष्य, कर्म, व्यवहार, हर मोड़ पर बदलता है और ये परिवर्तन शायद जीने की पहली और सबसे प्यारी शर्त है।

पर आगे बढ़ जाने और खुद में रम जाने के बावजूद, बहुत सी बातें, बहुत सी यादें, हमारे जीवन का एक आवश्यक, कभी न मिटने वाला हिस्सा बन जातीं हैं। अमूमन, मन के किसी कोने में दबा दी जातीं हैं ये बातें, पर जब कलम ज़िद पर उतर आए तो डायरी के पन्नों और फूलों की खुशबू में इन्हें संजोने से, मन खुद को रोक नहीं पाता।

कुछ ऐसी ही है गीता अय्यर जी की ‘लेडीज़ होस्टल’ की दास्तान। कलकत्ते की एक लड़की, संस्कृत के प्रेम में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय चली आती है। बड़े शहर के शोर शराबे से दूर, एक नई दुनिया, जहां हैरतअंगेज़ रूप से, उसका सामना उन मुद्दों से होता है, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की। रैगिंग का आतंक, लेसबीएन्स का अंजाना चेहरा, प्रेम में गिरती उबरती लड़कियां।

आत्मविश्वास से लबरेज़ गांव की चन्दा, प्यार में धोखा खाये बैठी मृदुला दी, लड़कों को अपनी उंगलियों के इशारों पर नचाती मॉडर्न निकिता तो आर्टिस्ट के प्यार में पागल मर्सी। इश्क़ के ढेरों अंदाज़ और चेहरे, इस उपन्यास के पटल पर नज़र आये।

काफी देर तक महसूसती रही कि इस पुस्तक में प्रेम सतही तरीके से पेश किया जा रहा है। प्यार में पड़ना और उबरना, उतना ही आसान और जल्द, जितना कि किरदारों का तेजी से कथानक में आना और निकल जाना। बेहतर होता कि प्रेम कहानियों को थोड़ा और विस्तार दिया जाता।

पर फिर, याद आया कि ये किताब केवल हॉस्टल के तीन सालों के दौरान, गीता को हुए अनुभवों पर आधारित है। साफगोई से उस समय की हुई घटनाओं पर आधारित, एक उन्नीस साल की लड़की द्वारा पहली बार दुनिया से मुलाक़ात की कहानी। और इस स्तर पर जांचें, तो पुस्तक खुद को जस्टिफाई करती है।

हालांकि, लेखिका का बार बार ये कहना कि लड़कियां केवल प्रेम में त्याग, और लड़कों की इच्छाअनुरूप खुद को ढालने के लिए बनी हैं, कई बार नागवार गुजरा।

पर किताब के खत्म होते होते, मेरी ये शिकायत कुछ हद तक दूर हो गयी। कम से कम सुमन, चन्दा और गीता, अपनी इच्छाओं और जीवन ध्येय को लेकर सजग नज़र आये। देवरिया की चन्दा, अपनी इच्छाशक्ति से प्रोफेसर बनने की ठान लेती है तो मृदुला, चुपचाप, अपने पहले प्रेमी के कमजोर इरादों को नेस्तनाबूद करती, सिर उठाकर अपनी ज़िंदगी घर से दूर बनारस में स्वाभिमान से जीती है। सौंदर्य की सीमाओं से परे, स्त्री को अपनी शक्ति का एहसास होना, सम्बल दे गया।

हालांकि कहानी कई जगहों पर दौड़ती सी नज़र आई और फिर कहूंगी कि विस्तार की सम्भावनाएं काफी हैं। यादों का आकाश असीमित जो होता है 🙂 पर कुल मिलाकर एक पठनीय पुस्तक।

गीता अय्यर जी की लेडीज़ होस्टल, अगर आप भी पढ़ना चाहें तो 7531950635 या 8447054804 पर सम्पर्क कर सकते हैं

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