Hindi Poetry

कोहरा

कोहरे का झीना दुपट्टा
धूपीली किनारी
और
बाहों में खुद को समेटती
वो मतवाली
ये सुबह सरदी का पैग़ाम लाई है
अलाव की ज़ीनत लौट आई है, लौट आई है….
Anupama

Kohra poem

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