Hindi Poetry

कविताएं

अक्सर कविताएँ पढ़ते हुए

शब्द विन्यास से परे हो जाती हूँ

भावों के उतार चढ़ाव

पहाड़ी से तलहटी का सफर

तय करते हुए

ह्रदय तल पर एक दावा ठोंकते हैं

पल भर को ठिठकती है नज़र

दो धड़कनों के बीच सरसराहट सी होती है

आँखों के रास्ते मन के भीतर

उमड़ते हैं कुछ वाजिब नावाजिब ख़्याल

पर तभी दिमाग दस्तक दे जाता है

झट आह वाह उफ़्फ़ लिखकर

उन असंख्य विचारों को एक रेले में धकेल

आगे बढ़ जाती हूँ दूसरी कविता की ओर

ये छोटी छोटी पुलियां

प्रदूषित महानगर की

उखड़ी साँसें हैं,

क्षण क्षण जीने का प्रयास करतीं !!

Anupama

The tragedy of thinking from Heart

Mind hammers the intruder Hard 🙁

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