कविताएं मन का आइना होती हैं… हमारे परिवेश और दृष्टिकोण की सौंधी सौंधी महक होती है उनमें..
और जो कविता शुरुआती दौर में लिखी जाए, वह तो मन के और करीब आ जाती है और ताउम्र बुलाए नहीं भूलती
ऐसी ही एक कविता गढ़ी थी,अपनी तन्हाई से बतियाते हुए.. सुनिए मेरी कविता मेरी प्यारी सहेली, यूट्यूब पर
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