छाँव लगे धूप मुझे
चुभती सी है चांदनी
हैरां करें फूल मुझे
काँटों सी है दीवानगी
सूरज को इकटक देखूँ
तारों से छुपती फिरूँ
गुलमोहरी बातें तेरी
फिर फिर खुद से कहूं
नंगे पाँव दौड़ी जाऊँ
आहट जो तेरी सुनूँ
हुई मैं कमली मौला मेरे
कैसे अब मैं सब्र करूँ !!
Anupama
Recent Comments