Hindi Poetry

कजली

कजली आँखें, गाल गुलाबी
पायल छनके जाए
गुपचुप देखे अपना कान्हा
बावरी भटकी जाए
ठुमक ठुमक चले जो प्यारी
बगिया महकी जाए
बंसी, गोपी, गाँव की गोरी
सारी छोड़ के आए
नन्हे कान्हा बेरी समेटे
पीछे भागे अाए
जैसे ही दिखे सांवरा
भृकुटि तनी दिखाए
खट्टी इमली भाती मुझको
काहे बेरी लाए
बोले कान्हा सुन री गोरी
नखरे न कर, मीठी हो जा,
खटास न हमको भाए
चल दोनों बैठे मिलकेँ
प्यार की पींग बढ़ाएं
थम जाए पतझड़ का तांडव
चल बसन्त बहार मनाएं !
Anupama

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