काली चट्टान के पीछे सफेद झरने के नीचे
बुदबुदे होंठों कांपते हाथों से कई खत लिखे
पर दिल की बात जु़बां पर आ न पाई
आज एक अनोखा काम कर आई हूँ
हर पत्ते पर बस तेरा नाम लिख आई हूँ !
Anupama
ऐ थके हारे मानव!
बारिश की बूंदों से पूछ तो ज़रा
बादल बनना क्या आसान रहा!!
Anupama
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