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Jnanpith Awarded to Amitav Ghosh

आज सुबह newspaper में पढ़ा Amitav Ghosh becomes First Writer in English to win Jnanpith…

ये बात कुछ अटपटी लगी.. अब तक ज्ञानपीठ को भारतीय भाषाओं में लिखने वाले भारतीय लेखकों के लिए जानती थी… नाम से यही बूझती रही और अब तक का इतिहास भी यही दुहराता रहा…

पर आज अजब लगा.. हालांकि अमिताव मेरे फेवरेट राइटर्स में से एक हैं.. Hungry Tide से लेकर Glass Palace, Shadow Lines, Calcutta Chromosome, Sea of Poppies, River of Smoke तक पढ़ी थीं.. अच्छी भी लगीं, सिवाय Circle of Reason के.. उनके लिखे की फैन हूं, रिसर्च करके almost हिस्टोरिकल फिक्शन को छूते हुए लिखते हैं, उन्हें पुरस्कृत करना कुछ गलत नहीं…

पर भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा!!

खैर, थोड़ा और पढ़ा और पहली बार जाना कि ये संस्था टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप का literary कमर्शियल फेस है… इस न्यूज़ ग्रुप के पेपर लेने बन्द ही इसलिए किए थे क्योंकि advertisement ज़्यादा आती थीं, कंटेंट कम… सो पुरस्कार के चुनाव पर टिप्पणी बेकार ही समझिए…

पर हां, इनसे इतना ज़रूर कहूंगी कि अब जब अंग्रेज़ी को भारतीय मूल में मानने की कवायद शुरु कर ही रहे हैं, तो कृपया एक संशोधन और करें, Jnan हज़म नहीं होता मुझसे, स्पेलिंग ही correct करवा लीजिए… ज्ञान को अब गूगल भी Gyaan लिख लेता है.. गंगा और यज्ञ भी अब उतने बड़े tongue twisters नहीं, जितने कि अंग्रेज़ी में बना दिए गए..

ज़्यादातर लोग अब हिंदी अंग्रेज़ी दोनों जानते हैं, इसलिए इस तरह की वर्तनी हैरान करती है.. कहीं ऐसा न हो कि धीमे धीमे पुरस्कार ही नहीं, हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाएं भी इंडिया से परायी हो जाएं!!!
Anupama Sarkar

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