अनमनी सी जेठ दुपहरी
चुप सी बैठी बरगद नीचे
तरसे हाय दीवानी
अनगढ़ मेघों ने की साज़िश
मस्ती की फिर ठानी
घमढ़ घमढ़ धम धबड़ धबड़ धुम
जमके बरसा पानी
कारे बदरा घिर घिर आये
उड़ गयी चुनर धानी
Anupama
अनमनी सी जेठ दुपहरी
चुप सी बैठी बरगद नीचे
तरसे हाय दीवानी
अनगढ़ मेघों ने की साज़िश
मस्ती की फिर ठानी
घमढ़ घमढ़ धम धबड़ धबड़ धुम
जमके बरसा पानी
कारे बदरा घिर घिर आये
उड़ गयी चुनर धानी
Anupama
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