बहता दरिया
घुमड़ते बादल
पिघलते ग्लेशियर
नभ से भूतल तक
तैरता, उड़ता, फिसलता
केवल जल !
पथरीली राहों में
काली घटाओं में
संकरी गुफाओं में
आंखों से सांसों तक
सहता, रिसता, चिहुंकता
केवल जल !
तरसती निगाहों में
बहकती सांसों में,
दहकती आहों में
कोरों से होंठों तक
टपकता, महकता, सिसकता
बस वही : जल !!
Anupama
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